तू मेरे आँगन में आ बन जा
एक प्यारी तुलसी की डाली
मै तुम्हे पूजूं तू मुझे पूजे
हो एक प्रेम की रिति निराली
जब भी सुबह हो मै तुम्हे देखूं
बिखरे जब सूरज की लाली
जब जब आये ऋतू सावन की
पिया मिलन ऋतू मनभावन सी
तुम बन जाना मेरा उपवन
मै बन जाऊंगा एक माली
तू मेरे आँगन में आ बन जा
एक प्यारी तुलसी की डाली
जब जब आये ऋतू बारिश की
रिम-झिम रिम-झिम ऋतू बारिश की
मै बन जाऊ बरखा बादल
तुम बन जाना एक हरियाली
तू मेरे आँगन में आ बन जा
एक प्यारी तुलसी की डाली
जब ऋतू आये फुल खिलन की
बढ़ जाये शोभा उपवन की
मै बन जाऊंगा एक भौरा
तुम बन जन बेल की डाली
तू मेरे आँगन में आ बन जा
एक प्यारी तुलसी की डाली
जब आए ऋतू गर्म हवा की
गर्मी और बेदर्द हवा की
मै बन जाऊंगा एक छाया
तुम बन जाना पेड़ की डाली
तू मेरे आँगन में आ बन जा
एक प्यारी तुलसी की डाली
मै तुम्हे पूजूं तू मुझे पूजे
हो एक प्रेम की रिति निराली
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