ताड़ की छाँव में
Friday, September 11, 2009
अच्छा नहीं लगता
मेरे शहर के लोगो को आजकल अमन अच्छा नहीं लगता
फूलों से भरा हुआ चमन अच्छा नहीं लगता
बिना कर्फु के इन्हें अब नींद ही नहीं आती
भाई चारे का अब चलन अच्छा नहीं लगता
लोग यहाँ के इतने खुदगर्ज हो गए है की
हरी-भरी धरती ,साफ़ गगन अच्छा नहीं लगता
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