ताड़ की छाँव में
Saturday, August 14, 2010
उम्र भर
हमको तेरी बेरुखी का गम रहेगा उम्र भर
दर्द जितना भी मिलेगा कम रहेगा उम्र भर
फिर न बरसे जोर से घिर के घटायें अश्क की
आंख का कोना हमारे नम रहेगा उम्र भर
हैं अगर जिन्दा तो समझो एक जिन्दा लाश हैं
जिंदगी में मौत का मौसम रहेगा उम्र भर
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