जिन्दगी डूब गयी दारू में
दोस्ती टुट गयी दारू में
मै चिरागों को जलाता ही रहा
रौशनी डूब गयी दारू में
सुन मोहब्बत का नया राज है ये
आशिकी डूब गयी दारू में
आज मै फिर से हो गया तन्हा
मेरा गम डूब गया दारू में
वो गया छोड़ के मुझे फिर आज
मै भी फिर मस्त हुआ दारू में
अब नया कुछ करूँगा फिर कैसे
मैं तो फिर डूब गया दारू में
आज की रात कटेगी कैसे
नींद फिर रूठ गयी दारू से
कल सुबह देखते है फिर यारों
रात तो बीत गयी दारू में
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