Friday, September 9, 2011

जिन्दगी डूब गयी दारू में

जिन्दगी डूब गयी दारू में 
दोस्ती टुट गयी दारू में 
मै चिरागों को जलाता ही रहा 
रौशनी डूब गयी दारू में 
सुन मोहब्बत  का नया राज है ये 
आशिकी डूब गयी दारू में 
आज मै फिर से हो गया तन्हा 
मेरा गम डूब गया दारू में 
वो गया छोड़ के मुझे फिर आज 
मै भी फिर मस्त हुआ दारू में 
अब नया कुछ करूँगा  फिर कैसे 
मैं तो फिर डूब गया दारू में 
आज की रात कटेगी कैसे 
नींद फिर रूठ गयी दारू से 
कल सुबह देखते है फिर यारों 
रात तो बीत गयी दारू में 

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