Friday, September 9, 2011

इश्क दिल की जुबां अगर होता

इश्क दिल की जुबां अगर होता 
बिन कहे वो समझ गया होता 
मैंने चाहा है  उसको आहों में 
दर्द वो ये समझ गया होता 
प्यार गर बेजुबां नहीं होता 
प्यार के टूटने का डर कभी नहीं होता 
बात नज़रों की समझता कोई 
फिर बिछड़ने का डर नहीं होता 
दिल अगर प्यार में धडकता हो 
फिर कसी जुल्म का दिल पे असर नहीं होता 
गर कभी याद आ गयी उसकी 
फिर तो उस रात का सहर कभी नहीं होता 

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