इश्क दिल की जुबां अगर होता
बिन कहे वो समझ गया होता
मैंने चाहा है उसको आहों में
दर्द वो ये समझ गया होता
प्यार गर बेजुबां नहीं होता
प्यार के टूटने का डर कभी नहीं होता
बात नज़रों की समझता कोई
फिर बिछड़ने का डर नहीं होता
दिल अगर प्यार में धडकता हो
फिर कसी जुल्म का दिल पे असर नहीं होता
गर कभी याद आ गयी उसकी
फिर तो उस रात का सहर कभी नहीं होता
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