उसके होंठों पे जब मेरा नाम आ रहा था
जाने किस कशमकश में वो घबरा रहा था
आइना सामने था हकीकत का फिर भी
वो अपनी हकीकत को झुठला रहा था
चौंकता था की जैसे छुआ हो किसी ने
पर वो खुद के ही साये से टकरा रहा था
साफ जाहिर था रंगे-मुहब्बत नज़र से
फिर भी होंठो पे लाने से शरमा रहा था
mast yaar.............
ReplyDeleteChumeshwari bhri...............????
i like ittttttttttttt
मुहोब्बत छुपाये नहीं छुपती.
ReplyDeleteअच्छा लिखा है.
good
ReplyDeleteAt the touch of love, everyone becomes a poet.